यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को मान्यता मिली है। यहाँ 15 भारतीय विरासतों की विस्तृत सूची दी गई है, जिन्हें अलग-अलग वर्षों में यूनेस्को ने शामिल किया है:
1. कुटियाट्टम (2008)
- विवरण: केरल का संस्कृत थिएटर, जो दुनिया का सबसे पुराना जीवित नाट्य रूप है। इसे मंदिरों में अनुष्ठानिक प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
- महत्व: चकियार (हिंदू उपजाति) और नांगियार (नांबियार जाति की महिलाएँ) इसे प्रदर्शित करते हैं। यह हिंदू पौराणिक कथाओं पर आधारित है।
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2. वैदिक मंत्रोच्चारण (2008)
- विवरण: वेदों के मंत्रों का पारंपरिक जप, जो दुनिया की सबसे पुरानी मौखिक परंपराओं में से एक है।
- महत्व: यह ज्ञान और आध्यात्मिकता की अखंड परंपरा को दर्शाता है।
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3. रामलीला (2008)
- विवरण: उत्तर प्रदेश में रामायण का पारंपरिक नाट्य प्रदर्शन, विशेष रूप से दशहरे के दौरान।
- महत्व: इसमें गीत, नृत्य और संवाद शामिल होते हैं, जो सामाजिक एकता को बढ़ावा देते हैं।
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4. रम्मन (2010)
- विवरण: उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र का धार्मिक उत्सव और अनुष्ठानिक थिएटर।
- महत्व: यह हिमालयी संस्कृति का अनूठा प्रतिनिधित्व करता है और स्थानीय देवताओं की पूजा से जुड़ा है।
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5. छऊ नृत्य (2010)
- विवरण: पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा का पारंपरिक मुखौटा नृत्य।
- महत्व: यह महाभारत और रामायण की कथाओं को दर्शाता है।
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6. कालबेलिया (2010)
- विवरण: राजस्थान का सांप-नृत्य, जो कालबेलिया समुदाय द्वारा प्रस्तुत किया जाता है।
- महत्व: यह सांपों की गतिविधियों की नकल करता है और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है।
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7. मुडियेट्टु (2010)
- विवरण: केरल का अनुष्ठानिक नाटक, जो देवी काली और दानव दारिका की लड़ाई को दर्शाता है।
- महत्व: यह सामुदायिक सहयोग और धार्मिक भक्ति का प्रतीक है।
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8. लद्दाख का बौद्ध मंत्रोचार (2012)
- विवरण: हिमालयी क्षेत्र में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा धार्मिक मंत्रों का पाठ।
- महत्व: यह आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करता है।
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9. संकीर्तन (2013)
- विवरण: मणिपुर का पारंपरिक गायन, नृत्य और नगाड़ों का उत्सव।
- महत्व: यह वैष्णव भक्ति परंपरा का हिस्सा है।
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10. पंजाब के ठठेरों की शिल्प कला (2014)
- विवरण: पीतल और तांबे के बर्तन बनाने की पारंपरिक तकनीक।
- महत्व: यह हस्तशिल्प कौशल और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।
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11. नवरोज (2016)
- विवरण: पारसी समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला नववर्ष उत्सव।
- महत्व: यह सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक एकता को प्रदर्शित करता है।
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12. योग (2016)
- विवरण: प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक और शारीरिक अभ्यास।
- महत्व: यह स्वास्थ्य, ध्यान और सद्भाव को बढ़ावा देता है।
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13. कुंभ मेला (2017)
- विवरण: प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित विशाल धार्मिक सभा।
- महत्व: यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है।
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14. कोलकाता की दुर्गापूजा (2021)
- विवरण: पश्चिम बंगाल का प्रमुख त्योहार, जिसमें दुर्गा माँ की मूर्तियों की पूजा की जाती है।
- महत्व: यह कला, संस्कृति और सामुदायिक भागीदारी का उत्सव है।
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15. गुजरात का गरबा (2023)
- विवरण: नवरात्रि के दौरान किया जाने वाला भक्तिपूर्ण नृत्य।
- महत्व: यह सामाजिक समावेशिता और सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है।
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निष्कर्ष
यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल ये भारतीय परंपराएँ देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करती हैं। इनमें नृत्य, नाटक, संगीत, धार्मिक उत्सव और हस्तशिल्प शामिल हैं, जो भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं।